Saturday, March 14, 2015

My article "अब न बदले तो कब ?"

                                     अब न बदले तो कब ?

एक महिला ,एक लड़की क्यों आज के समय में पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है! जबकि हमारा देश तो कब का आजाद हो गया है , तो महिलाये ही क्यो नहीं .....क्या आजादी सिर्फ पुरुषो की ही हुई है, महिलाओ की नहीं.......,
फिर भी आज के समाज मे महिलाए अपनी आजादी महसूस नहीं कर पाती है!   क्यों ...... आखिर क्यों इस लोकतान्त्रिक समाज मे एक महिला ,एक लड़की घरो में, सडको पर ,स्कूल, कॉलेज, दफ्तरो मे,
कही भी सुरक्षित नहीं है ....लोग तो अपनी बेटियो की शादी कर देते हैं,    यह  सोच कर कि वह अब सुरक्षित रहेगी लेकीन क्या शादी के बाद भी वह सुरक्षित है..... नहीं....घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा ,शारीरिक यातनाएं ,आदि उनका पीछा ही नहीं छोड़ती है!

  आज के समाज मे जहां महिलाए दिन प्रति -दिन हर क्षेत्र मे आगे बढ़ रही है , पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं , फिर भी जहां बात उनकी सुरक्षा की आती है तो क्यों उनका आत्मसम्मान, उनकी सुरक्षा को खतरा बना रहता है?

   हमारे समाज के पुरुष  क्यो भूल जाते है कि हम महिलाओ को इतने अपशब्द कहते हैं , उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं , जबरदस्ती, मार पीट ,घरेलूहिंसा करते है  और उनके आत्मसमान को कुचल डालते है ,तो ये क्यो भूल जाते है की हमे इस दुनिया मे लाने वाली भी महिला हैं , एक स्त्री ही है........जो किसी की बहन किसी की माँ है!

       अब वक़्त आ गया है ..... बदलाव लाने का हमारे समाज के बनाए गए कानून को हर तरफ हो रहे महिलाओ के साथ अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का जिसके लिए हमारी महिलाओ के साथ साथ पुरुषो को भी जागरूक होना होगा

भारतीय दंड सहिंता
आईपीसी (I.P.C) अपराधो के विषय मे बनाया गया कानून है जिसके अंदर 1 से ले कर 511 धराएं दी हुई है जिसमें विशेष रूप से महिलाओ की सुरक्षा  दी गई है जो धराएं इस प्रकार है
              
294 -   अश्लील  कार्य ,अश्लील गाने ,अश्लील बाते

354 -   किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के लिए उस पर हमला  करना  अथवा आपराधिक बल का प्रयोग करना

यौन उत्पीडन के संभंध में -

354 (A)- धमकी देकर, डरा कर शारीरिक संभंध बनाना
354 (B)- शारीरिक संभंध बनाने की मांग करना 
354 (C)- चेंजिंग रूम,वाश रूम ,में कैमरा लगाना ,ऐसी ताक-झाक करना 
354 (D)- पीछा करना,किसी की ईमेल आई डी के साथ छेड़छाड़ करना  ,MMS बनाना ..

375 -  रेप (किसी स्त्री की सहमति के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना )

376-  पुलिस स्टेशन ,अस्पतालो मे ,ऐसे स्थान पर जहा बड़े अधिकारी लोग अपने ऊंचे पद का गलत फायदा उठाते है  अपने कार्यस्थान पर रेप करना

509 -   ऐसे शब्द, ऐसे वाक्य बोलना जो एक स्त्री  के अतमसम्मान को ठेस पाहुचते हैं!

विवाह के संबंध मे

304 (B) -   दहेज प्रथा 

495 -  विधि पूर्ण विवाह का प्रवंचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा शारीरिक संबंध बनाना

496 - विधि पूर्ण विवाह के बिना कपट पूर्वक विवाह कर्म पूरा कर लेना !

497 -  जारकर्म (किसी स्त्री के साथ ये जानते हुए की वह दूसरी की विवाहिता है, उसके साथ संबंध बनाना )

498 - विवाहित स्त्री को बहला-फुसला कर किसी आपराधिक भावना से कही छिपा कर रखना, ले जाना!

498 (A) -  क्रूरता (विवाहित स्त्री के पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना!)



इन  कानूनी व्यवस्थाओ के होने के बावजूद भी अपराधो की संख्याओं मे कोई कमी नहीं आयी है...जिनका कारण है अशिक्षा ,जागरूकता स्त्री –पुरुष का भेद-भाव अभी भी ऐसी अज्ञानता लोगो मे व्याप्त है !

  हाल ही में आए एक ताजे मामले पर नजर डालते है यह घटना 4 जनवरी 2014 मेरठ की है ,जहां एक बाप ने अपनी ही नाबालिग बेटी का रेप किया ,शर्मिंदगी की हद यही खत्म नहीं होती है जब ये मामला पंचायत में गया तो पंचायत ने बाप को बेटी का पति बना दिया.....जहा इंसाफ की उम्मीद की जाती हैं वहां हमारे मददगार ही हमारे दुश्मन बने बैठे है तो मदद की गुहार ही किससे की जाए? जहा एक बाप का ही रिश्ता कलंकित हुआ बैठा है तो बाहर किस पर विश्वास किया जाए ? इन सबके लिए हमारा कानून जो हमारी रक्षा के लिए बनाया गया है, वही जिम्मेदार है , और दोष सिर्फ कानून को ही नहीं हमारा भी है जब तक हम अपने आप को अपनी मानसिकता को नहीं बदलेंगे तब तक कुछ नहीं बदलेगा ।
आइए आप, मै, और हम सब मिलकर प्रयास करें, और लोगो को ज्यादा से ज्यादा जागरूक बनाये...शुरुवात करें अपने घरों से, मोहल्ले से  मोहल्ले तक से शहरों  से शहरो में इस तरह ही धीरे –धीरे समाज बदलेगा और जब समाज का हर नागरिक जागरूक  बनेगा तब हम कानून से भी अपनी मदद कराने मे सक्षम होंगे ,क्योकि जब हमारे खुद के इरादे नेक होंगे तभी हम इंसाफ की मांग भी कर पाएंगे और महिलाओ को सुरक्शित रख पाएंगे! 


.....कुछ सुझाव मेरी तरफ से आप सब के लिए ....
आपने  साथ हुई छेड़छाड़ ,क्रूरता की रिपोर्ट  पुलिस मे  करें और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप इस तरह के अत्याचारो को और भी बढावा देंगे !
यदि कोई आपको फोन पर परेशान करता है ,गंदे संदेश, गंदे mms भेजता है, तो तुरंत उसकी शिकायात दर्ज कराये !

 अपने स्कूल ,कॉलेज,दफ्तर जाते समय अपने पास कुछ छोटी-मोटी चीजे जैसे – चाकू, प्रकार, स्प्रे आदि हथियार हमेशा तैयार रखें जिससे आप वक़्त रहते अपने आप को बचा सके !
और तो और किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा को सह कर ,चुप रह कर उसे बढावा न दें ,अपने आने वाली पीढ़ियो के सुरक्षित भविष्य के लिए आवाज ऊंची करे !

आइए हम आपको बताते है आपकी सुविधा के लिए कुछ हेल्पलाइन नंo उपलब्ध है इन्हें जाने और प्रयोग करें .....

 पुलिस नo- 100
पुलिस हेल्पलाइन नo महिलाओ के लिए – 99565111
आपकी बेहतरीन सुरक्षा हेतु  -
टोल फ्री नo- 1090
1090  ये नंo आपकी सुविधा के लिए 24 घंटे उपलब्ध है !   2012 को आयी इस टोल फ्री सुविधा महिलाओ के लिए बहुत ही सफल साबित हुई है!

ये टोल फ्री नंo उन महिलाओ के लिए एक अच्छा हथियार बन कर आया  है जो महिलाएं अपने साथ हुए अपराधो को अपने डर, के  कारण अपने  घर वालो को ,अपनी माँ –बाप को बताने मे संकोच महसूस करती है! ...... अब  आप निसंकोच यह नंo डायल करे और सुरक्षा पाये! सबसे बड़ी बात है कि आपकी सहायता के लिए इस नंo पर महिला कर्मचारी ही आपकी शिकायत सुनेगी!
ये तो रही बात कानून की व्यवस्थाओ की ,सहायता पाने वाली  सुविधाओ की ....
लेकिन निष्कर्ष रूप से ये कहना श्रेष्ठ होगा की सबसे बड़ा बदलाव तो जागरूक होने पर ही आयेगा ....तो खुद भी जागरूक बनिए और दूसरों को भी बनाइए........... ” क्योकि अब न बदले तो कब  बदलेंगे

7 comments:

  1. Hmmmmmmm jb itne kanoon h to kahe roj ee sab how at h

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  2. Hmmmmmmm jb itne kanoon h to kahe roj ee sab how at h

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  3. As she already told "maansikta" is the problem

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  4. Jab tak logo ki mansikta nahi badlegi apradho ka silsila jaari rahega

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  5. Aur ek problem aur bhi hai ki logo me ek dusre ke prati sanvedanheenta.. ek dusre ke prati udaseenta.. sb dusro ki problems se ye kh k pallla jhad lete hai ke kon inke pachde me pare.. agar log ek dusre ka sath de to hm kitni hi ghatnao ko rok sakte hai... RAISE YOUR VOICE

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  6. sai kaha apne aisi ek ki soch do ki hoti hai or fir do se tin or bad ti jati hai jab tak hum aisi soch ko nai rok sakenge tab tak apradho me bhi kami nai ayegi...

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  7. Blog बनाकर विचारों की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति के लिए शुभकामनाओं के साथ आशीर्वाद ।

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