Monday, March 30, 2015

भरण पोषण ( MAINTENANCE)

                                                       ** भरण पोषण **

भारतीय समाज में बहुत समय से ही ये ये धारणा रही है की हर व्यक्ति अपने बूढ़े  माँ -बाप ,पत्नी ,व अपनी संतान जो अवयस्क हो अवयस्क से अर्थ है जिन्होंने 18 वर्ष की आयु प्राप्त न कर ली हो,ऐसी संतानो का भरण पोषण  सुनिश्चित  करे !
ये केवल हर व्यक्ति का कर्तव्य ही नहीं उसका सामाजिक दायित्व भी होता है !

जरा सोचिये अगर हमारे कानून में ऐसी कोई सुविधा न होती तो इस समाज में जहा स्वार्थ में रमा हर एक इंसान स्वयं के लिए सोचता है क्या वो अपने माँ-बाप का सहारा बनता और मान लीजिये कई ऐसे भी है जो आज भी अपने माँ -बाप का सहारा बनते है। .......लेकिन जहा ऐसा नहीं होता तो वहा  क्या होता। ।कहा  जाते वो बूढ़े ,असहाय ,माँ-बाप कौन बनता उनका सहारा ,कौन देता उन्हें दो वक़्त का भोजन। .......


एक पत्नी जो शादी के बाद पति के घर को ही अपना संसार बना लेती है अपना हर सुख हर दुःख पति के साथ ही निभाती है ,कठिनाई में उसका कदम कदम पे साथ निभाती है।   क्या होता  जब वही पति उसे उसके खर्चे देने से ही इंकार कर देता कहा जाती वो पत्नी किस्से मदद मांगने 


वो संताने जो अभी तक जीवन की सच्चाई से रूबरू ही नहीं हुए हो कैसे पालते  अपना पेट कैसे करते   अपनी शिक्षा पूरी, कैसे करते अपनी इक्छाये पूरी'.... 


दंड प्रक्रिया संहिता

धारा 125 से 128 भरण -पोषण के समबन्ध में है ,जिसका  उद्देश्य  दंड देना कभी नहीं रहा  बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को अपने परिवार के प्रति  अपने दायित्त्वों  का बोध कराता  है !

125 -संतान ,और माता पिता के भरण पोषण के लिए आदेश

(पर्याप्त साधनो वाला कोई भी व्यक्ति )
1 .  अपनी पत्नी को जो अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हो
2.  अपनी धर्मज या अधर्मज  अवयस्क संतान का
3. अपनी धर्मज या अधर्मज वयस्क संतान का यदि ऐसी संताने जो शारीरिक या मानसिक छति के कारण अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हो
4. माता -पिता का जो अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हो'

**   अब प्रश्न ये है की भरण पोषण का आवेदन कौन  कर सकेगा 

- पत्नी ( जिसमे वो महिला शामिल है जिसे तलाक दे दिया गया है ,या जिसने तलाक ले लिया है और जिसने      दूसरी शादी न की हो
- अवयस्क संतान (पुत्र व् पुत्री ) चाहे विवाहित हो या अविवाहित
- वयस्क संतान (धर्मज या अधर्मज लेकिन इसमें विवाहित पुत्री शामिल नहीं है )
- माता पिता
आवेदक को यह साबित करना होगा की वो अपना भरण -पोषण करने में असमर्थ है

भरण पोषण का वाद ------- (प्रथम श्रेणी के न्ययिक मजिस्ट्रेट को किआ जायेगा)

125(4)भरण पोषण देने से कब इंकार किया जा सकता है 
यदि पत्नी बिना पर्याप्त कारणों के अलग रह रही हो
यदि पत्नी Adultery में रह रही हो

125 (3 )- कोर्ट के आदेश का पालन  के अंतर्गत-    यदि कोई व्यक्ति  बिना पर्याप्त कारणों के आदेश का पालन करने में असफल रहता है तो  उसके खिलाफ वारंट जारी किआ जा सकता है वारंट के पशात् हर माह के न चुकाए गए भरण पोषण की राशि के लिए कारावास का दंड भी दिए जा सकता है !

126  -भरण पोषण की प्रक्रिया 
 वाद लेन का स्थान -
* कारवाही किसी ऐसे जिले में की जा सकती है ;
* जहा वह है ,
* जहा वह या उसकी पत्नी निवास करती है
* जहा उसने अंतिम बार अपनी पत्नी के साथ या अधर्मज संतान  साथ निवास किआ था

127 - भरण पोषण की राशि  में परिवर्तन
1. पुनर्विवाह
2. पत्नी को पहले ही राशि भुक्तान  की जा चुकी हो
3. जब स्वेक्षा से पत्नी ने भरण पोषण का त्याग किआ हो

** मुस्लिम महिला का भरण पोषण का अधिकार

*निजी विधि द्वारा
*दंड प्रक्रिया संहिता
*मुस्लिम महिला अधिनियम 1986

128 - भरण पोषण के भत्ते में प्रवर्तन

1.  पति पत्नी की सहमति द्वारा
२. बिना  पर्याप्त कारणों के अलगाव
3. पत्नी का जरता में रहना जो मुस्लिम महिलओं के सम्बन्ध में है

            अपने हक़ को जानो और उसे पाओ न मिले जो आसानी से तो कानून का दरवाजा खटखटाओ 
इन हक़ का गलत फायदा न उठाये क्युकी कानून आपकी मदद के लिए बना है यदि आप उसे सही के बजाये गलत तरीके से हासिल करना चाहेंगे तो आप जैसो की वजह से ही जरुरत मंद अपना हक़ कैसे पाएंगे। .... 



















Thursday, March 26, 2015

Sunday, March 15, 2015

"बच्चे मन के सच्चे




                                             बाल मजदूरी 


   "बाल मजदूरी "    ये एक ऐसा अभिशाप है जो हमारे समाज को गन्दा कर रहा है  ,हमारे समाज में दो तरह के लोग होते है एक तो वे जिनके बच्चे बड़ी बड़ी गाडियो में घूमते है ,बड़े बड़े स्कूलों  में पढ़ते है ,अच्छे अच्छे कपडे पहनते है ......और दूसरी तरफ वे बच्चे जिन्हें एक समय का भोजन बी मुश्किलों से मिलता है उन्हें गाडियो का तो दूर बल्कि सोने के लिए फुठपाथ  ही नसीब होता है,वे कपडे भी दुसरो के उतरन पहेंते है....     
और शिक्षा......?????        उसका क्या?

उनकी शिक्षा  की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं...  ,उनका भविष्य बनाने वाला कोई नहीं

अगर हम सब मिलकर कोशिश करे और बच्चो के भविष्य के साथ होने वाले खिलवाड़ को रोकने में मदद करे तो  शायद हमारी ही वहज से किसी एक बच्चे का भविष्य सुधर जाये और इसी तरह एक से दो ......

हम कोशिश कर सकते है........

भारतीय संविधान  

जिसमे बाल मजदूरी के लिए विशेष कानून बना है जिसकी जानकारी हमे आप सबको होनी चाहिए जिससे हम अपने आस पास बाल मजुदुरी रोक सके !

अनुछेद -24 -  कारखानों, खानों और अन्य खतरनाक नौकरियों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। संसद ने बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 अधिनियमित किया है, जिसमें उन्मूलन के लिए नियम प्रदान करने और बाल श्रमिक को रोजगार देने पर दंड के तथा पूर्व बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए भी प्रावधान दिए गए हैं।

हमारा प्रयास ये है की हम आप सबको अपने विचारो में इस कानूनी व्यवस्था का ज्ञान कराये जिससे आप सब खुद में जागरूक रहे और अपने आस पास इस अभिशाप से हमारे समाज को सुधरने में अपनी कोशिश करे और हर बच्चो को शिक्षा ,रहन सहन ,और उन्हें बाल मजदूरी के अभिशाप से बचाए   ..

ताकि हर एक बच्चा अपना बचपन जी सके और शिक्षा जो हर बच्चो के लिए उनका मौलिक अधिकार है वो मिल सके ! बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेके .

 "क्योंकि  जब छोटे कंधो पे होगा इतना भार तो....कैसे होगा समाज में सुधार"

Saturday, March 14, 2015

My article "अब न बदले तो कब ?"

                                     अब न बदले तो कब ?

एक महिला ,एक लड़की क्यों आज के समय में पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है! जबकि हमारा देश तो कब का आजाद हो गया है , तो महिलाये ही क्यो नहीं .....क्या आजादी सिर्फ पुरुषो की ही हुई है, महिलाओ की नहीं.......,
फिर भी आज के समाज मे महिलाए अपनी आजादी महसूस नहीं कर पाती है!   क्यों ...... आखिर क्यों इस लोकतान्त्रिक समाज मे एक महिला ,एक लड़की घरो में, सडको पर ,स्कूल, कॉलेज, दफ्तरो मे,
कही भी सुरक्षित नहीं है ....लोग तो अपनी बेटियो की शादी कर देते हैं,    यह  सोच कर कि वह अब सुरक्षित रहेगी लेकीन क्या शादी के बाद भी वह सुरक्षित है..... नहीं....घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा ,शारीरिक यातनाएं ,आदि उनका पीछा ही नहीं छोड़ती है!

  आज के समाज मे जहां महिलाए दिन प्रति -दिन हर क्षेत्र मे आगे बढ़ रही है , पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं , फिर भी जहां बात उनकी सुरक्षा की आती है तो क्यों उनका आत्मसम्मान, उनकी सुरक्षा को खतरा बना रहता है?

   हमारे समाज के पुरुष  क्यो भूल जाते है कि हम महिलाओ को इतने अपशब्द कहते हैं , उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं , जबरदस्ती, मार पीट ,घरेलूहिंसा करते है  और उनके आत्मसमान को कुचल डालते है ,तो ये क्यो भूल जाते है की हमे इस दुनिया मे लाने वाली भी महिला हैं , एक स्त्री ही है........जो किसी की बहन किसी की माँ है!

       अब वक़्त आ गया है ..... बदलाव लाने का हमारे समाज के बनाए गए कानून को हर तरफ हो रहे महिलाओ के साथ अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का जिसके लिए हमारी महिलाओ के साथ साथ पुरुषो को भी जागरूक होना होगा

भारतीय दंड सहिंता
आईपीसी (I.P.C) अपराधो के विषय मे बनाया गया कानून है जिसके अंदर 1 से ले कर 511 धराएं दी हुई है जिसमें विशेष रूप से महिलाओ की सुरक्षा  दी गई है जो धराएं इस प्रकार है
              
294 -   अश्लील  कार्य ,अश्लील गाने ,अश्लील बाते

354 -   किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के लिए उस पर हमला  करना  अथवा आपराधिक बल का प्रयोग करना

यौन उत्पीडन के संभंध में -

354 (A)- धमकी देकर, डरा कर शारीरिक संभंध बनाना
354 (B)- शारीरिक संभंध बनाने की मांग करना 
354 (C)- चेंजिंग रूम,वाश रूम ,में कैमरा लगाना ,ऐसी ताक-झाक करना 
354 (D)- पीछा करना,किसी की ईमेल आई डी के साथ छेड़छाड़ करना  ,MMS बनाना ..

375 -  रेप (किसी स्त्री की सहमति के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना )

376-  पुलिस स्टेशन ,अस्पतालो मे ,ऐसे स्थान पर जहा बड़े अधिकारी लोग अपने ऊंचे पद का गलत फायदा उठाते है  अपने कार्यस्थान पर रेप करना

509 -   ऐसे शब्द, ऐसे वाक्य बोलना जो एक स्त्री  के अतमसम्मान को ठेस पाहुचते हैं!

विवाह के संबंध मे

304 (B) -   दहेज प्रथा 

495 -  विधि पूर्ण विवाह का प्रवंचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा शारीरिक संबंध बनाना

496 - विधि पूर्ण विवाह के बिना कपट पूर्वक विवाह कर्म पूरा कर लेना !

497 -  जारकर्म (किसी स्त्री के साथ ये जानते हुए की वह दूसरी की विवाहिता है, उसके साथ संबंध बनाना )

498 - विवाहित स्त्री को बहला-फुसला कर किसी आपराधिक भावना से कही छिपा कर रखना, ले जाना!

498 (A) -  क्रूरता (विवाहित स्त्री के पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना!)



इन  कानूनी व्यवस्थाओ के होने के बावजूद भी अपराधो की संख्याओं मे कोई कमी नहीं आयी है...जिनका कारण है अशिक्षा ,जागरूकता स्त्री –पुरुष का भेद-भाव अभी भी ऐसी अज्ञानता लोगो मे व्याप्त है !

  हाल ही में आए एक ताजे मामले पर नजर डालते है यह घटना 4 जनवरी 2014 मेरठ की है ,जहां एक बाप ने अपनी ही नाबालिग बेटी का रेप किया ,शर्मिंदगी की हद यही खत्म नहीं होती है जब ये मामला पंचायत में गया तो पंचायत ने बाप को बेटी का पति बना दिया.....जहा इंसाफ की उम्मीद की जाती हैं वहां हमारे मददगार ही हमारे दुश्मन बने बैठे है तो मदद की गुहार ही किससे की जाए? जहा एक बाप का ही रिश्ता कलंकित हुआ बैठा है तो बाहर किस पर विश्वास किया जाए ? इन सबके लिए हमारा कानून जो हमारी रक्षा के लिए बनाया गया है, वही जिम्मेदार है , और दोष सिर्फ कानून को ही नहीं हमारा भी है जब तक हम अपने आप को अपनी मानसिकता को नहीं बदलेंगे तब तक कुछ नहीं बदलेगा ।
आइए आप, मै, और हम सब मिलकर प्रयास करें, और लोगो को ज्यादा से ज्यादा जागरूक बनाये...शुरुवात करें अपने घरों से, मोहल्ले से  मोहल्ले तक से शहरों  से शहरो में इस तरह ही धीरे –धीरे समाज बदलेगा और जब समाज का हर नागरिक जागरूक  बनेगा तब हम कानून से भी अपनी मदद कराने मे सक्षम होंगे ,क्योकि जब हमारे खुद के इरादे नेक होंगे तभी हम इंसाफ की मांग भी कर पाएंगे और महिलाओ को सुरक्शित रख पाएंगे! 


.....कुछ सुझाव मेरी तरफ से आप सब के लिए ....
आपने  साथ हुई छेड़छाड़ ,क्रूरता की रिपोर्ट  पुलिस मे  करें और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप इस तरह के अत्याचारो को और भी बढावा देंगे !
यदि कोई आपको फोन पर परेशान करता है ,गंदे संदेश, गंदे mms भेजता है, तो तुरंत उसकी शिकायात दर्ज कराये !

 अपने स्कूल ,कॉलेज,दफ्तर जाते समय अपने पास कुछ छोटी-मोटी चीजे जैसे – चाकू, प्रकार, स्प्रे आदि हथियार हमेशा तैयार रखें जिससे आप वक़्त रहते अपने आप को बचा सके !
और तो और किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा को सह कर ,चुप रह कर उसे बढावा न दें ,अपने आने वाली पीढ़ियो के सुरक्षित भविष्य के लिए आवाज ऊंची करे !

आइए हम आपको बताते है आपकी सुविधा के लिए कुछ हेल्पलाइन नंo उपलब्ध है इन्हें जाने और प्रयोग करें .....

 पुलिस नo- 100
पुलिस हेल्पलाइन नo महिलाओ के लिए – 99565111
आपकी बेहतरीन सुरक्षा हेतु  -
टोल फ्री नo- 1090
1090  ये नंo आपकी सुविधा के लिए 24 घंटे उपलब्ध है !   2012 को आयी इस टोल फ्री सुविधा महिलाओ के लिए बहुत ही सफल साबित हुई है!

ये टोल फ्री नंo उन महिलाओ के लिए एक अच्छा हथियार बन कर आया  है जो महिलाएं अपने साथ हुए अपराधो को अपने डर, के  कारण अपने  घर वालो को ,अपनी माँ –बाप को बताने मे संकोच महसूस करती है! ...... अब  आप निसंकोच यह नंo डायल करे और सुरक्षा पाये! सबसे बड़ी बात है कि आपकी सहायता के लिए इस नंo पर महिला कर्मचारी ही आपकी शिकायत सुनेगी!
ये तो रही बात कानून की व्यवस्थाओ की ,सहायता पाने वाली  सुविधाओ की ....
लेकिन निष्कर्ष रूप से ये कहना श्रेष्ठ होगा की सबसे बड़ा बदलाव तो जागरूक होने पर ही आयेगा ....तो खुद भी जागरूक बनिए और दूसरों को भी बनाइए........... ” क्योकि अब न बदले तो कब  बदलेंगे

Friday, March 13, 2015

My First Post

Hi
As all of us know that Laws play a vital role in our daily life. C'mon dont pretend like "Oh God why I am gonna trap in this" then you are on a wrong track. For an example If you get caught without helmet , you probably understand why Laws are important. Now Its just an endeavor to make people informed about general and special laws as well as my views on certain issues and blah blah blah. 
Thank You for Reading Stay tuned, I will be back with interesting stuffs very soon.