महिला श्रम के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान
यह सच है की महिलाएं प्राकृतिकता पुरुषो की भाति सशक्त नहीं होती है , लकिन इसका ये अर्थ नहीं की महिलाओ के योगदान को नाकारा नहीं जा सकता है क्यूंकि आज हर महिला पुरुषो की भाँति कंधे से कन्धा मिला कर चलती है !
परन्तु महिलाये शारीरिक रूप से कमजोर होती है पुरषो की तुलना में यही कारण है की वो कठोर व् जोखिम भरे श्रम यूख कार्यो में नियोजन के बारे में श्रम विधियों में विशेष वस्थाये की गयी है !
ये सुविधाये उन महिलाओं के लिए जिन्हे अपना पेट पलने के लिए ऐसी जगह काम करना पड़ता है जहा उन्हें जान का जोखिम रहता है फिर भी उनके पास और कोई रास्ता नहीं होता उन सब महिलाओं के लिए
कारखाना अधिनियम 1948
महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान करता है
* दुर्घंटना होने की संभावना वाले यंत्रो पर कार्य करने के लिए महिलाओं को नियुक्त नहीं किआ जायेगा
* रुई धुनकियो पर भी महिलाओ को नियोजित नहीं किआ जायेगा
* सूर्यास्त से सूर्योदय महिलाओ को नियोजित नहीं किआ जायेगा
*महिलाओ के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था की जाये
* जिन महिलाओ के लिए ६ वर्ष से काम आयु के बच्चे हो उनके बच्चो के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी
* महिलाओं के लिए कार्य दिवसों के बीच 11 घंटो का अंतराल रखा जाना आवशयक है
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948
* यदि कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है या किसी बीमारी से पीड़ित है अथवा उसका गर्भपात हो गया हो तो ऐसी महिला कर्मचारी कलिक संदाय पाने की अधिकारी होगी
* ऐसी महिलाओं को बीमारी प्रसुविधा का लाभ दिए जायेगा
* बीमार महिला कर्मचारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी चाहे उसका आचरण कितना भी गंभीर आक्षेपों वाला ही क्यों न हो !
इन्ही प्रकार के विशेष प्रावधानों का लाभ पा कर ही आज महिलाये कई जोखिम भरे कार्यो में नियोजित होने लगी है आज महिलाये हर क्षेत्र में सफल हो रही है आज हर महिला शिक्षक (teacher ),चिकिस्तक(Doctor) ,अधिवक्ता (Advocate ),पायलेट (Piolet ),पुलिस (Police ),बनाना चाहती है और बन भी रही है ! आज की महिला किसी से कम नहीं है वो हर क्षेत्र में सफल है !
आज की आधुनिकता भरे समाज में महिलाओ को अपने अधिकार पता होते है फिर भी अभी भी कई ऐसी महिलाये है जिन्हे अपने इन अधिकारों इन कानूनी व्यवस्थाओ का ज्ञान नहीं है तो आप इसे उन महिलाओ तक पहुचाये ताकि कोई भी महिला जानकारी के आभाव में अपने अधिकारो से वंचित न रहे!
परन्तु महिलाये शारीरिक रूप से कमजोर होती है पुरषो की तुलना में यही कारण है की वो कठोर व् जोखिम भरे श्रम यूख कार्यो में नियोजन के बारे में श्रम विधियों में विशेष वस्थाये की गयी है !
ये सुविधाये उन महिलाओं के लिए जिन्हे अपना पेट पलने के लिए ऐसी जगह काम करना पड़ता है जहा उन्हें जान का जोखिम रहता है फिर भी उनके पास और कोई रास्ता नहीं होता उन सब महिलाओं के लिए
कारखाना अधिनियम 1948
महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान करता है
* दुर्घंटना होने की संभावना वाले यंत्रो पर कार्य करने के लिए महिलाओं को नियुक्त नहीं किआ जायेगा
* रुई धुनकियो पर भी महिलाओ को नियोजित नहीं किआ जायेगा
* सूर्यास्त से सूर्योदय महिलाओ को नियोजित नहीं किआ जायेगा
*महिलाओ के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था की जाये
* जिन महिलाओ के लिए ६ वर्ष से काम आयु के बच्चे हो उनके बच्चो के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी
* महिलाओं के लिए कार्य दिवसों के बीच 11 घंटो का अंतराल रखा जाना आवशयक है
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948
* यदि कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है या किसी बीमारी से पीड़ित है अथवा उसका गर्भपात हो गया हो तो ऐसी महिला कर्मचारी कलिक संदाय पाने की अधिकारी होगी
* ऐसी महिलाओं को बीमारी प्रसुविधा का लाभ दिए जायेगा
* बीमार महिला कर्मचारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी चाहे उसका आचरण कितना भी गंभीर आक्षेपों वाला ही क्यों न हो !
इन्ही प्रकार के विशेष प्रावधानों का लाभ पा कर ही आज महिलाये कई जोखिम भरे कार्यो में नियोजित होने लगी है आज महिलाये हर क्षेत्र में सफल हो रही है आज हर महिला शिक्षक (teacher ),चिकिस्तक(Doctor) ,अधिवक्ता (Advocate ),पायलेट (Piolet ),पुलिस (Police ),बनाना चाहती है और बन भी रही है ! आज की महिला किसी से कम नहीं है वो हर क्षेत्र में सफल है !
आज की आधुनिकता भरे समाज में महिलाओ को अपने अधिकार पता होते है फिर भी अभी भी कई ऐसी महिलाये है जिन्हे अपने इन अधिकारों इन कानूनी व्यवस्थाओ का ज्ञान नहीं है तो आप इसे उन महिलाओ तक पहुचाये ताकि कोई भी महिला जानकारी के आभाव में अपने अधिकारो से वंचित न रहे!