Sunday, April 12, 2015

woman labour

                          महिला श्रम के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान 


यह सच है की महिलाएं प्राकृतिकता पुरुषो की भाति सशक्त नहीं होती है , लकिन इसका ये अर्थ नहीं की महिलाओ के योगदान को नाकारा नहीं जा सकता है क्यूंकि आज हर महिला पुरुषो की भाँति कंधे से कन्धा मिला कर चलती है !
           परन्तु महिलाये  शारीरिक रूप से कमजोर होती है पुरषो की तुलना में यही कारण है की वो कठोर व् जोखिम भरे श्रम यूख कार्यो में नियोजन के बारे में श्रम विधियों में विशेष  वस्थाये की गयी है !

ये सुविधाये उन महिलाओं के लिए जिन्हे अपना पेट पलने के लिए ऐसी जगह काम करना पड़ता है जहा उन्हें जान का जोखिम रहता है फिर भी उनके पास और कोई रास्ता नहीं होता उन सब महिलाओं के लिए 

                                                       कारखाना अधिनियम 1948 
महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान करता है 
*  दुर्घंटना होने की संभावना वाले यंत्रो पर कार्य करने के लिए महिलाओं को नियुक्त नहीं किआ जायेगा 
*  रुई धुनकियो पर भी महिलाओ को नियोजित नहीं किआ जायेगा 
* सूर्यास्त से सूर्योदय  महिलाओ को नियोजित नहीं किआ जायेगा 
*महिलाओ के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था की  जाये 
* जिन महिलाओ के लिए ६ वर्ष से काम आयु के बच्चे हो उनके बच्चो के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी 
* महिलाओं के लिए कार्य दिवसों के बीच 11 घंटो का अंतराल रखा जाना आवशयक है 

                                     कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम    1948 

 * यदि कोई महिला कर्मचारी  गर्भवती है या किसी बीमारी से पीड़ित है अथवा उसका गर्भपात हो गया हो तो            ऐसी महिला कर्मचारी कलिक संदाय पाने की अधिकारी होगी 
*  ऐसी महिलाओं को बीमारी प्रसुविधा का लाभ दिए जायेगा 
*  बीमार महिला कर्मचारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी चाहे उसका             आचरण कितना भी गंभीर आक्षेपों वाला ही क्यों न हो !

             
          इन्ही प्रकार के विशेष प्रावधानों का लाभ पा  कर ही आज महिलाये कई जोखिम भरे कार्यो में नियोजित होने लगी है आज महिलाये हर क्षेत्र में सफल हो रही है आज हर महिला शिक्षक (teacher ),चिकिस्तक(Doctor) ,अधिवक्ता (Advocate ),पायलेट (Piolet ),पुलिस (Police ),बनाना चाहती है और बन भी रही है ! आज की महिला किसी से कम  नहीं है वो हर क्षेत्र में सफल है !  

आज की आधुनिकता भरे समाज में महिलाओ को अपने अधिकार पता होते है फिर भी अभी भी कई ऐसी महिलाये है जिन्हे अपने इन अधिकारों इन कानूनी व्यवस्थाओ का ज्ञान नहीं है तो आप इसे उन महिलाओ तक पहुचाये ताकि कोई भी महिला जानकारी के आभाव में अपने अधिकारो से वंचित न रहे!








Friday, April 3, 2015

पर्यांवरण संरक्षण

                             भारतीय संविधान  के पर्यांवरण संरक्षण से सम्बंधित प्रावधान

प्रत्येक  व्यक्ति को स्वस्थ पर्यावरण के उपयोग का पूरा अधिकार होता है !और ये मुमकिन है  अपने आस-पास स्वछता रखेंगे ,और दुसरो की भी इसके लिए जागरूक रखेंगे। …… और ऐसा न करने वालो को दंड दिया जायेगा जिससे पर्यावरण स्वस्थ रहे क्युकी हमारा पर्यावरण ही हमारे जीवन को प्रभावित करता है   

भारत  , जो  विश्व का एक ऐसा पहला संविधान है जिसमे पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष उपबंध किये गए है 
क्योँकि पर्यावरण का संरक्षण करना राज्य का ही नहीं बल्कि  नागरिको का भी दायित्व है ! आईये जाने क्या क्या। ……
       
भारतीय संविधान  के अंतर्गत इसके सम्बन्ध में। ……

                                         1. नीति निदेशक तत्त्व के रूप में -
संविधान  के भाग 4  में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में इसका उल्लेख किआ गया है' , 
अनुछेद 48 -A -  जो की इस  बारे में है की राज्य देश के पर्यावरण की सुरक्षा और उसमे सुधार  करने का और वन तथा वन्य जीवो की  रक्षा का प्रयास करेगा 

                                               2. मूल कर्तव्य के रूप में 
अनुछेद -51 (A )- भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है की वन ,झील नदी ,और वन्य जीव की हमेशा रक्षा करे ! और उनके प्रति हमेशा दया भाव रखे !

                               
                                           3. मूल  अधिकार के रूप में
अन्छेद -21 - के अंतर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार में स्वस्थ पर्यावरण का भी अधिकार शामिल 

"एक स्वच्छ  वातावरण में ही स्वस्थ  समाज निवास कर सकता है "जो प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य और दायित्व भी हैं