क्या सच में कुछ बदल रहा है ?
बात पहले की करे या आज की हालात कुछ खास नहीं बदले है
कल वाक और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता नहीं थी इसलिए हमें घटनाएं कम सुनाई देती है या यूँ कहे सुनाई ही नहीं देती थी तो क्या पहले अपराध ही नहीं होते थे......? नहीं ऐसा नहीं है अपराध तब भी होते थे बस हमें संचार के साधनों के अभाव में सुनाई दिखाई नहीं देते थे।
और आज..... आज तो हालात इतने बदतर हो गए है आज का आदमी माफ करना सिर्फ आदमी कहना पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि आज के समय में इंसान क्यों इतना गिरता जा रहा है इसका जवाब शायद उपर ईश्वर भी सुनना न चाहे क्योंकि कुछ अपराध ऐसे होते है जो सारी सीमाएं तोड़ देते है ...एक मामा जो अपनी 4 वर्ष की भांजी को रोज खिलाने आता था उसकी माँ का अपने भाई पर भरोसा होना लाजमी था उसे कहाँ पता था अब जमाना खून के रिश्तों पर भी भरोसे लायक नहीं है मामा ने अपनी 4 वर्ष की भांजी के साथ रेप किया और उसे अधमरी हालत में घर पे छोड़ कर भाग गया... माँ ने जैसे अपनी बेटी को खून से लथपथ देखा जरा अंदाजा लगा कर देखिये उस माँ पर क्या गुजरी होगी जब उसने ऐसी हालत में अपनी बच्ची को देखा, वो फ़ौरन दौड़ी अपनी बच्ची से पूछा मगर वो बच्ची क्या समझती की उसके साथ क्या हुआ है उसने बस मामा ने गलत काम किया है इतना ही बोला जरा उसकी उम्र पर तो गौर कीजिये.. माँ हालत देख सब समझ गई उसने फ़ौरन उसे लेकर पुलिस थाने मे FIR दर्ज कराई बच्ची का मेडिकल हुआ जिसमें रेप की पुष्टि हुई उस बच्ची का वेजाईना पूरी तरह से घायल आस पास की चोट, खरोंच छिला हुआ, रेप वो भी अत्यधिक बल द्वारा साबित हो गया
वो पीड़ित बच्ची 3 माह तक अस्पताल में जिंदगी से लड़ती रही है मगर न्यायलय में defence ये की पीड़िता का 164 बयान नहीं हुआ है इसलिए अभियुक्त को संदेह का लाभ दिया जाए मगर फिर भी इंसाफ हुआ अभियुक्त मामा को घटना के दो बर्ष बाद U/S 5/6 Posco act 2012 में 20 वर्ष की सजा हुई दो साल लगे पूरे साबित यानी crystal and clear मामले में भी दो वर्ष लग गए
जिसकी अपील उच्च न्यायलय में pedning है।
अब कुछ प्रश्न उठते है
-क्या उस पीड़िता की हालत के लिए 20 वर्ष की सजा काफी है?
-क्या इस पीड़िता को इस दकियानुसी समाज में वो इज्जत मिलेगी
-क्या पीड़िता इस भयानक हादसे के डर से बाहर आ पायेगी
-क्या किसी को अपने ही खून के रिश्तों पर भरोसा करना चाहिए
- क्या पीड़िता का बचपन अब सामान्य बच्चो जैसा रह पायेगा
-क्या स्त्री 4 साल की हो या 60 साल की किसी भी उम्र में सुरक्षित नहीं महसूस कर सकती
क्या इस 20 साल की सजा सुन कर लोग अब ऐसा अपराध करने से डरेंगे????
तो क्या सच में कुछ बदल रहा है या सिर्फ कानून में धाराएँ ही? ?
Advocate Suparna Mishra